पत्रिका-नारी चेतना, अंक-जुलाई-अगस्त.09, स्वरूप-द्वैमासिक, संपादक-डाॅ. रचना निगम, पृष्ठ-40, मूल्य-रू.20(वार्षिक 80रू.), संपर्क-15 गोयामेट सोसायटी, शक्ति अपार्टमंेट्स, बी-ब्लाक, द्वितीय तल, एस/3, प्रताप नगर बड़ोदरा (गुजरात)
पत्रिका विशेष रूप से दलित, पिछड़ी हुई तथा समाज में पूर्णतः उपेक्षित स्त्री पर सामग्री प्रस्तुत करती है। नारी चेतना विशेष रूप से नारी से संवाद का बेहतर मंच है। इस अंक में डाॅ. रूखसाना सिद्दकी, कल्पना वशिष्ट तथा शरद सिंह के आलेख नारी सशक्तीकरण के लिए प्रयासरत दिखाई देते हैं। सुशांत सुप्रिय की कहानी ‘छुट्टी’ एक विचारणीय रचना है। नसीम अख्तर प्रेमिला भारद्वाज, पूजा रामबीर माहला की कविताएं अच्छी तथा सारगर्भित रचनाएं हैं। अखिलेश शुक्ल तथा मीरा शलभ की लघुकथाएं पत्रिका के स्तर में वृद्धि करती है। अन्य स्थायी स्तंभ, पत्र, समाचार तथा समीक्षाएं भी स्त्री चेतना को वाणी प्रदान करते हैं।

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