पत्रिका-हिमप्रस्थ-जुलाई.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-रणजीत सिंह राणा, पृष्ठ-56, मूल्य-रू.5(वार्षिक 50रू.), संपर्क-हिमाचल प्रदेश प्रिटिंग प्रेस परिसर, घोड़ा चैकी, शिमला -6,(भारत)
हिमप्रस्थ शासकीय विभाग द्वारा निकलने वाली सामान्य जन की प्रिय पत्रिका है। यह केवल पांच रूपये मासिक में अनमोल साहित्य प्रतिमाह प्रकाशित करती है। समीक्षित अंक में कुछ बहुत ही उपयोगी व समसामयिक आलेख प्रकाशित किए गए हैं। जिनमें ‘अमर कथा शिल्पी चन्द्रधर शर्मा गुलेरी(राजेन्द्र परदेसी), ‘उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र’(जया चैहान), ‘रोरिक आर्ट गेलरीः अदभुत कला संग्रहालय’(सुदर्शन वशिष्ट) एवं वनस्पति अराधना के सांस्कृतिक संदर्भ’(अनुराग विजयवर्गीय) प्रमुख हैं। संतोष साहनी की कहानी वसंत ऐसे भी आया तथा उधार(डाॅ. आदर्श) अच्छी बन पड़ी हैं। लघुकथाओं में सुरेन्द्र श्रीवास्तव, सत्यनारायण भटनागर तथा रौशन विक्षिप्त की रचनाएं समाज को कुछ न कुछ संदेश देती हुई दिखाई देती हैं। संतोष उत्सुक, रचना गौड़, डाॅ. ओम प्रकाश सारस्वत तथा विजय रानी बसंल की कविताएं पठ्नीय हैं। पत्रिका की अन्य रचनाएं तथा समीक्षा व स्थायी स्तंभ भी पाठकों को अवश्य ही पसंद आएंगे।

1 टिप्पणियाँ

  1. हिमप्रस्थ जैसी सरकारी पत्रिकायें ढूंढे नहीं मिलतीं। गजब का कलेवर और सामग्री। हर अंक में छपने वाले कुछेक सरकारी लेखकों को छोड़ दे तो इस पत्रिका का कोई मुकाबला नहीं।

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