पत्रिका-मैसूर हिंदी प्रचार परिषद पत्रिका, अंक-जुलाइ.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-डाॅ.बी. रामसंजीवैया, गौरव संपादक-डाॅ. मनोहर भारती, पृष्ठ-48, मूल्य-रू.5(वार्षिक50रू.), संपर्क-मैसूर हिंदी प्रचार परिषद, 58, वेस्ट ाआॅफ कार्ड रोड़, राजाजी नगर, बेंगलूर कर्नाटक(भारत)
दक्षिण भारत में हिंदी को आम जन तक पहुंचाने वाली इस पत्रिका की जितनी तारीफ की जाए कम है। इससे जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति तथा उसके समपर्ण की भावन राष्ट्रीयता से ओतप्रोत है। जिसकी झलक इस अंक में भी दिखाई देती है। अंक में प्रभुलाल चैधरी, डाॅ. महेश चंद्र शर्मा, डाॅ. एम. नारायण रेड्डी, पी. सरस्वती, डाॅ. एम. शेषन दक्षिण भारतीय हिंदी के विद्वान है जिनकी विषय पर पकड़ शेष भारत के किसी हिंदी लेखक से कमतर नहीं है। डाॅ. अमर सिंह बधान का लेख ‘भारतीय भाषाओं में आपसी समन्वय जरूरी’ पत्रिका के राष्ट्रीय स्वरूप को स्वर प्रदान करता है। डाॅ. गोरखनाथ तिवारी, आई. साजिया फरहाना, कृष्णपाल सिंह गौतम तथा आर. के. भारतद्वाज के आलेख हिंदी साहित्य को विभिन्न भारतीय विषयों से जोड़ते दिखाई देेत हैं। एस.पी. केवल की कहानी, नलिनीकांत, ओम रायजादा, अंजु दुआ जैमिनी तथा भानुदत्त त्रिपाठी ‘मधुरेश’ की कविताएं बहुत ही अच्छी रचनाएं हैं। केवल 5 रू. की कीमत में उपलब्ध इस पत्रिका को अवश्य ही पढ़ा जाना चाहिए।

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