वागर्थ अंक-जून.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-डाॅ. विजय बहादुर सिंह, पृष्ठ-150, मूल्य-20रू.(वार्षिक 200रू.) संपर्क-भारतीय भाषा परिषद, शेक्सपियर सरणि, कोलकाता 700017(भारत)
प्रत्येक अंक की तरह वागर्थ का यह अंक भी अनूठा एवं पठनीय है। समीक्षित अंक में प्रख्यात कवि तथा साहित्यकार बाबा नागार्जुन पर विशेष सामग्री दी गई है। नागार्जुन के खत जो वागर्थ के संपादक सहित अन्य साहित्यकारों को लिखे गए थे उनसे बहुत ही उपयोगी जानकारी प्राप्त होती है जिसका संबंध साहित्य के साथ साथ मनुष्य के जीवन की शुचिता से भी है। उषा किरण खान तथा पं. सुंदरलाल बहुगुणा के आलेख संग्रह योग्य हैं। प्रो. कमला प्रसाद की स्मृति में बसे प्रख्यात कवि सुदीप बनर्जी के स्मृति चित्र सुदीप जी की सह्दयता को प्रदर्शित करते हैं। रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति, की कविताएं बाजारवाद को चीरकर रोशनी की किरण दिखाती है। पंकज परिमल एवं कृष्ण दत्त पालीवाल ने अपने आलेखों में गहराई से विषय का प्रस्तुतिकरण किया है। नंद भारद्वाज एवं स्वप्निल श्रीवास्तव की कविताएं ख्यात आलोचक रमेश चंद्र शाह का लेख बादलों के ऊपर डायरी विधा में लिखा गया एक पठनीय आलेख है। पत्रिका की कहानियांे में हरे प्रकाश उपाध्याय तथा विद्या सिंह की रचनाएं विविधता का आभास कराती हैं। विलास गुप्ते का व्यंग्य तथा राजकिशोर के उपन्यास अंश सहित पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ तथा रचनाएं संपादक श्री विजय बहादुर सिंह के विशेष प्रयासों से पाठक को निजता का आभास दिलाती है।

2 टिप्पणियाँ

  1. ब्लोगिंग से जुडे हुए लोगों को भी अच्छी साहित्यिक पत्रिकायें पढनी चाहिये आपका यह प्रयास प्रशंसनीय है

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