पत्रिका-समावर्तन, अंक-मई.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-निरंजन श्रोत्रिय, पृष्ठ-98, मूल्य-20रू.(वार्षिक200रू.), संपर्क-माधवी, 129 दशहरा मैदान, उज्जैन (म.प्र.)
पत्रिका का समीक्षित अंक विजय कुमार के साहित्य सृजन पर एकाग्र है। सुनीता जैन, मनोहर वर्मा एवं देवेन्द्र राज ठाकुर ने समग्र रूप से अपने विचार व्यक्त किए हैं। संतोष सुपेकर, श्रीराम त्रिपाठी तथा कमल कुमार के आलेख अच्छे बन पड़े हैं। रमेश दवे ने आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी के रचनाकर्म पर विस्तृत रूप से विचार किया है। निरंजन श्रोत्रिय का ख्यात कवि नईम पर लिखा गया आलेख पत्रिका की प्रमुख रचना है। समावर्तन अब एक प्रमुख मासिक पत्रिका का दर्जा प्राप्त कर चुकी है अतः इसके अधिक विस्तार की आवश्यकता है। पत्रिका को चाहिए कि अन्य नवोदित तथा प्रतिभासम्पन्न रचनाकारों को जोड़े।

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