अप्रैल, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रचनाएं शोधार्थीयों के लिए संग्रह योग्य व उपयोगी

पत्रिका-हिमप्रस्थ, अंक-मार्च.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-रणजीत सिंह राणा, पृष्ठ-64, मूल्य-5रू.(वार्षिक 50रू.) संपर्क-हिमाच…

सौहार्द का व्यंग्य विशेषांक

पत्रिका-सौहार्द, अंक-17, स्वरूप-अनियतकालीन, संपादक-डाॅ. संत कुमार टण्डन ‘रसिक’, पृष्ठ-56, संपर्क-386/195 हिम्मतगंज इलाह…

मीडिया और जनतंत्र पर विशेष सामग्री-क्थन

पत्रिका -कथन, अंक-अप्रैल-जून.09, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-डाॅ. संज्ञा उपाध्याय, पृष्ठ-98, मूल्य-25रू.,वार्षिक100रू., सं…

पत्रिका -अणु कन्या, वर्ष-01, अंक-02, स्वरूप-मासिक, संपादक-एम. कृष्ण चन्द्र राव, पृष्ठ-60, मूल्य-निःशुल्क व निजी वितरण क…

‘रिश्ते हमारी संस्कृति का उपहार है’-शुभ तारिका

पत्रिका-शुभ तारिका, अंक-अप्रैल.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-श्रीमती उर्मि कृष्ण, पृष्ठ-30, मूल्य-12रू.,वार्षिक120रू., संपर्…

‘सपनों के बिखरने और संवरने का जीवंत दस्तावेज’-सदंर्भ संबोधन

पत्रिका -सम्बोधन, अंक-जनवरी.मार्च.09, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-कमर मेवाड़ी, पृष्ठ-92, मूल्य-20रू.,वार्षिक100 रू., संपर्क…

‘भाषा पांडित्य नहीं प्रेम मांगती है’-भाषा स्पंदन

पत्रिका-भाषा स्पंदन, अंक-16, स्वरूप-मासिक, संपादक-डाॅ. मंगल प्रसाद, पृष्ठ-48, मूल्य-10रू.,वार्षिक100 रू., संपर्क- कर्ना…

बाज़ारवाद की प्रवृत्तियां और साहित्य (द्वितीय भाग)

बाज़ारवाद पर आपने पहली पोस्ंिटग में कुछ जानकारी प्राप्त की। दरअसल बाज़ारवाद कोई साहित्यिक प्रवृत्ति न होकर आधुनिक जीवन …

नारी अस्मिता- नारी चेतना की प्रगतिशील पत्रिका

पत्रिका-नारी अस्मिता, अंक-दिसम्बर-मई.09, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-डाॅ. रचना निगम, पृष्ठ-48, मूल्य-20रू.,वार्षिक80 रू., …

भाषा को बचाने से ही साहित्य बचेगा-प्रभाकर श्रोत्रिय: संदर्भ समार्वतन

पत्रिका-समावर्तन, अंक-अप्रैल.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-निरंजन श्रोत्रिय, पृष्ठ-96, मूल्य-20रू.,वार्षिक200 रू., संपर्क- म…

साहित्यिक पत्रिकाओं में बाज़ारवाद की भूमिका

आजकल जितनी भी साहित्यिक पत्रिकाएं निकल रही हैं उनमें वर्तमान सदी के बाजारवाद की प्रमुख भूमिका है। कविता, कहानी, संस्मर…

दुष्यंत कुमार अलंकरण समारोह का सुंदर प्रकाशन

पत्रिका -आसपास, अंक-अप्रैल.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-राजुरकर राज, पृष्ठ-24, मूल्य-5रू.,वार्षिक 60 रू.60, संपर्क- एच.03, …

‘आज नाट्य विधा साहित्य की एक उपेक्षित विधा हो गई है।’ - रंग अभियान

पत्रिका -रंग अभियान, अंक-15, स्वरूप-अनियतकालिक, संपादक-डाॅ. अनिल पतंग, पृष्ठ-64, मूल्य-15रू., संपर्क-नाट्य विद्यालय वाघ…

पत्रिका समकालीन परिदृश्य का आईना है। (संदर्भ प्रगतिशील आकल्प)

पत्रिका-प्रगतिशील आकल्प, अंक-जनवरी-मार्च.09, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-डाॅ. शोभनाथ यादव, पृष्ठ-20, मूल्य-आजीवन रू.1000, …

समय और सम्यक भारतीय सोच के दो विशिष्ट आयाम हैं।’(संदर्भ-साक्षात्कार)

पत्रिका -साक्षात्कार, अंक-जनवरी.09, स्वरूप-मासिक, प्रधान संपादक-देवेन्द्र दीपक, संपादक-हरिभटनागर, सलाहकार- श्री मनोज श्…

प्रेमचंद्र और शरत चंद्र की कहानियां भारतीय हिंदी साहित्य की अनमोल धरोहर हैं (साहित्य सागर)

पत्रिका-साहित्य सागर अंक-अप्रैल09, स्वरूप-मासिक, संपादक-कमल कांत सक्सेना, पृष्ठ-50, मूल्य-20रू.(वार्षिक200रू.), संपर्क-…

‘मीडिया हमारे समय का सबसे हिंसक शिकारी है और बेरहम दलाल भी’ (संदर्भ वागर्थ)

पत्रिका-वागर्थ, अंक-अप्रैल09, स्वरूप-मासिक, संपादक-विजय बहादुर सिंह, पृष्ठ-146, मूल्य-20रू.(वार्षिक200रू.), संपर्क-भारत…

यात्रा में मच्छर न काटे तो?-------सदंर्भ यात्रा कथा

लल्लू लाल जी को यात्रा करना है। इस ग्रीष्म में यात्रा और वह भी भारतीय रेल में? कभी नहीं? पर करना है तो करना है। अतः कु…

कथा चक्र----इस माह की समीक्षाओं का बदला हुआ रूप

कथा चक्र के ब्लाॅग पर इस माह प्रकाशित होने वाली समीक्षाएं अब एक नए आकर्षक रूप में प्रकाशित की जाएंगी। उन समीक्षाओं में…

हमेशा याद आयेगी उस आवारा मसीहा की-----संदर्भ विष्णु प्रभाकर

ख्यात कथाकार, साहित्यकार विष्णु प्रभाकर आज से हमारे बीच नहीं हांेगे। होगी तो केवल उनकी यादें जिनमें हम हिंदी साहित्य के…

अक्षरा-------पत्रिका का शतांक

पत्रिका-अक्षरा, अंक-मार्च-अप्रैल09, स्वरूप-द्वैमासिक, प्र. संपादक-कैलाश चंद्र पंत, संपादक-डाॅ. सुनीता खत्री, सुशील कुमा…

मैसूर हिंदी प्रचार परिषद पत्रिका----------हिंदी साहित्य के प्रचार के लिए

पत्रिका-मैसूर हिंदी प्रचार परिषद् पत्रिका, अंक-मार्च09, स्वरूप-मासिक, संपादक-डाॅ. वी. रामसंजीवैया, पृष्ठ-48, मूल्य-5रू.…

परती पलार------साहित्य की उर्वर जमीन

पत्रिका-परती पलार, अंक-अक्टूबर.दिसम्बर08, स्वरूप-त्रैमासिक, प्र. संपादक-नमिता सिंह,पृष्ठ-170, मूल्य-20रू.(वार्षिक80रू.)…

प्रगतिशील वसुधा का कहानी विशेषांक भाग .02------विगत पन्द्रह वर्ष का लेखा जोखा

पत्रिका-प्रगतिशील वसुधा, अंक-समकालीन कहानी विशेषांक.2, स्वरूप-त्रैमासिक, प्र. संपादक-प्रो. कमला प्रसाद, अतिथि संपादक-जय…

अनुभूति----काव्य की एक सुखद अनुभूति

पत्रिका - अनुभूति(बेव पत्रिका), अंक-30.02.2009 स्वरूप-साप्ताहिक, संपादक-पूर्णिमा वर्मन, सहयोग-दीपिका जोशी, ,मूल्य-इंटरन…

रचनाकार----बेव पर उपलब्ध साहित्य का खजाना

पत्रिका-रचनाकार, अंक-मार्च.09, स्वरूप-बेव पत्रिका, संपादक-रविशंकर श्रीवास्तव, मूल्य-निःशुल्क उपलब्ध, संपर्क- http://ra…

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