पत्रिका-विश्व हिंदी समाचार अंक-दिसम्बर08, स्वरूप-त्रैमासिक, प्र। संपादक-डाॅ। (श्रीमती)विनोद बाला अरूण, संपादक-डाॅ। राजेन्द्र प्रसाद मिश्र, सम्पर्क-Swift Lane Forest Side, Mauritius
हिन्दी सचिवालय द्वारा माॅरीशस से प्रकाशित यह एक समाचार पत्रिका है। इसमें माॅरीशस तथा विश्व के कई देशांे में हिंदी भाषा तथा साहित्य पर हो रहे कार्यो के समाचार शामिल किए गए हैं। इस अंक का प्रथम समाचार ‘नयी कविता’ आंदोलन के सशक्त कवि श्री कुंवर नारायण के 41 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने का हैं। समाचार मंे विस्तार से इस कार्यक्रम की विवेचना की गई है। इन्द्रधनुष सांस्कृतिक परिषद माॅरीशस की साहित्यिक पत्रिका ‘इन्द्रधनुष’ की बीसवीं वर्षगांठ के सफल आयोजन की रपट भी मुखपृष्ठ पर है। अजित कुमार को ‘जयजयवंती’ एवं आशकरण अटल को ‘हास्य रत्न’ सम्मान की सचित्र रिपोर्ट आकर्षक है। विश्व हिंदी सचिवालय माॅरीशस की महासचिव श्रीमती विनोद बाला अरूण ने अपने आलेख में हिंदी की प्रगति पर विस्तार से विचार व्यक्त किए हैं। उनके अनुसार 37 से अधिक देशों में विभिन्न विधाओं मेें लेखन हो रहा है। यह हिंदी भाषा एवं साहित्य की शक्ति है। इस शक्ति को संगठित किए जाने की आवश्यकता है। पत्रिका के संपादक डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ने विश्व हिंदी दिवस धूमधाम से मनाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने लिखा है- आज विश्व में अधिकांश देश हिंदी भाषा और संस्कृति का महत्व समझने लगे हैं। निश्चय ही यह हिंदी के लिए शुभ संकेत हैै। जितेन्द्र कुमार मित्तल ने विश्व में हिंदी की स्वयंसेवी संस्थाओं पर उपयोगी आलेख लिखा है। इसमें हिंदी सोसायटी सिंगापुर, डी.ए.वी. हिंदी स्कूल आर्य समाज सिंगापुर, हिंदी समाज सिडनी तथा यू.के. हिंदी समिति यू.के. के कार्यकलापों पर प्रकाश डाला गया है। पत्रिका के दो प्रमुख आकर्षण है पहला है- ‘अमेरिका में हिंदी महोत्सव की धूम’। इसके अंतर्गत अमेरिका में 14-15 जून 2008 को आयोजित कार्यक्रम की आकर्षक रिपोर्ट ंिहंदी प्रेमियों को गौरवान्वित करती है। इस समाचार पत्रिका का दूसरा प्रमुख आकर्षण है भारत के प्रमुख कवि डाॅ. देवेन्द्र दीपक की अध्यक्षता में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम। 6 दिसम्बर 2008 को अपराह्न 1ः30 बजे रवीन्द्र नाथ टैगोर संस्थान के सभागार में डाॅ. देवेन्द्र दीपक की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। डाॅ. देवेन्द्र दीपक ने अपने वक्तव्य में माॅरीशस के युवा कवियों के लिए कार्यशाला आयोजित किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया है। ‘उत्तरी अमेरिका के हिंदी साहित्यकार’(श्रीनाथ प्रसाद त्रिवेदी) पर रिपोर्ट वहां हो रहे हिंदी के सृजनात्मक कार्यो को हमारे समझ लाने का भागीरथी प्रयास करती है। पत्रिका में ही हिंदी लेखक संघ माॅरीशस पर इन्द्रदेव भोला इन्द्रनाथ ने रिपोर्ट प्रस्तुत की है। पत्रिका की साज-सज्जा आकर्षक है। पूर्णतः रंगीन साफ-सुथरा ऋुटिहीन मुद्रण सुदंर ढंग से संयोजित समाचार पाठक को आश्वस्त करते हैं कि विश्व में हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है।

5 टिप्पणियाँ

  1. अखिलेश जी आपका यह कार्य अनन्य तो है ही हिन्दी के लिए प्रचार-प्रसार और विकास के बहुत उपयोगी भी है। इसी तरह इसे आगे बढाते रहिये। हिन्दी के लिये किये जा रहे अदृश्य प्रयत्नों को सबके सामने लाने से हिन्दी का बहुत भला होगा।

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  2. विश्व में हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है।

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  3. इसी तरह हिंदी की प्रगति संभव है.... परन्तु संस्थाओं के साथ साथ यदि हर एक हिन्दी प्रेमी अपनी ओर से कुछ लिखकर भेजे और अपने देश में हो रहे हिन्दी कार्यक्रमों का रिपोर्ट भेजें तो इन पत्रिकाओं की सामग्री में बढ़ोतरी तो होगी ही साथ ही अलग देशों में रहने वाले हिन्दी प्रेमी आपस में संपर्क रख पाएँगे.
    जिष्णु

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