त्रिका-गगनांचल, अंक-जुलाई-सितम्बर08, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-अजय कुमार गुप्ता, मूल्य-400रू। वार्षिक(विदेशों में 100डालर), सम्पर्क-भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद्, आजाद भवन, इन्द्रप्रस्थ एस्टेट, नई दिल्ली


परिषद की यह अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पत्रिका है। इसका प्रकाशन 6 विभिन्न भाषाओं में किया जाता है। समीक्षित अंक में डॉ. फरजाना सुलताना ने राजस्थान की महिला कथाकारों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला है। डॉ. रामचन्द्र राय एवं सकीना अख्तर ने रवीन्द्र नाथ टैगोर तथा महाश्वेता देवी के साहित्यिक योगदान पर चर्चा की है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रचार प्रसार में रेडियो के योगदान पर नीलम शर्मा ने लेख लिखा है। डॉ. रामदरश मिश्र, डॉ. मानसिंह तथा महावीर अग्रवाल के आलेख लोक चेतना जाग्रत करने का सफल प्रयास है। योगेश तिवारी, शरद दत्त तथा डॉ. अमरनाथ अमर ने कला एवं संस्कृति को अपने लेखन का आधार बनाया है। अशोक कुमार शशिप्रभा तिवारी, मृदुला सिन्हा के आलेख भी प्रभावित करते है। अवधनारायण मुआचार्य शास्त्री एवं शुभकांत बोहरा की कविताएं भूमंडलीकरण के बीच यथार्थ का प्रस्तुतीकरण है। स्वाति चौधरी, के.सरीन, हीरालाल कर्नावट, शिवानी, माधवी के लेख रिपोतार्ज की शैली में रचे हुए हैं जो कहानी-सी अनुभूति देते हैं। आकर्षक साज-सज्जा उत्कृष्ट मुद्रण युक्त यह पत्रिका भारतीय कला-संस्कृति एवं साहित्य का आइना है।

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